अभ्यास #पौरणिक कहानी -13-Dec-2021
अभ्यास
"देखो इस तरह रोते नहीं हैं ।
मेरी बात सुनो ..."एक नन्ना बच्चा भी बार-बार अभ्यास करता है तब ही चल पाता है पहले तो अपने समीप पड़ी कुर्सी या दीवान के " पाए" को पकड़ता है और फिर धीरे से उठता है तब खड़ा होता है । उसे पकड़कर दो कदम आगे बढ़ता है पैर उचकाकर खुशी से उछल कर । पर कुछ क्षण बाद ही फिर गिर जाता है एक पल वह रोने लगता है लेकिन दूसरे ही पल पुनः खड़ा होने का प्रयास करता है। और फिर चलने और दौड़ने लगता है । वह अपनी इस उपलब्धि पर किस तरह मुस्कुराता खिलखिलाता है देखा है ना आपने अपने छोटे भाई बहनों या आस पड़ोस में उन नन्हें बच्चों को इस तरह करते हुए किस तरह वह अभ्यास द्वारा चलना और फिर भागना सीख जाता है।"
परंतु अविनाश अपना रिजल्ट देख कर अब भी रोए जा रहा था।
कक्षा की शिक्षिका साक्षी को अपना समझाने का प्रयास विफल होता प्रतीत हो रहा था उसी वक्त स्कूल के प्रधानाध्यापक जी राउंड पर थे। वह हर कक्षा का जायजा ले रहे थे जब उस कक्षा के सामने पहुंचे और सामने खड़े अविनाश को रोते हुए देखा तो कक्षा के अंदर प्रवेश कर गए सभी छात्र-छात्राओं ने खड़े होकर उनका अभिनंदन किया उन्होंने सबको बैठने का आग्रह किया। उन्होंने साक्षी से अविनाश के रोने का कारण पूछा तब साक्षी ने बताया अविनाश हमारे स्कूल का होनहार विद्यार्थी है पिछले वर्षों से यह हमेशा प्रथम स्थान पर रहा परंतु इस वर्ष यह पांचवें स्थान पर है और इसे इसका विश्वास नहीं हो रहा। प्रधानाध्यापक जी ने पूछा .....पर ऐसा क्यों हुआ?
साक्षी बोली इस बार में इसे आरंभ से निरीक्षण कर रही हूं यह पढ़ाई के प्रति लापरवाह हो गया। प्रारंभिक परीक्षा और अर्धवार्षिक परीक्षा में भी इसके कम नंबर आए थे। मैंने इसे आगाह भी किया पर यह ना गृहकार्य पूर्ण करता और ना ही रोज की कापी का लेखन भी अपूर्ण रहता है। कह देता किताब तो है फिर लिखने की क्या आवश्यकता है। मैंने से समझाया भी लिखने और पढ़ने का अभ्यास जरूरी होता है परंतु...... मैंने इसे अपने सहपाठियों से भी कहते सुना कि मैं तो हर बार प्रथम आता हूं तुम लोग अपनी चिंता करो।
प्राचार्य महोदय ने कहा साक्षी मैडम बिल्कुल सही कह रही है अच्छा चलो आज पढ़ाई नहीं करते मैं तुम लोगों को एक कथा सुनाता हूं... क्या सुनना चाहोगे आप सब सब बच्चों ने हां स्वर में स्वर मिलाया क्यों अविनाश तुम भी सुनना चाहोगे अविनाश को तो कहानियां पहले से ही बहुत पसंद थी उसने भी हां में सिर हिला दिया।
तो सुनो सब....
यह महाभारत खत्म होने के बाद की कहानी है। यादव श्री कृष्ण भगवान से मिलने आए थे। कुछ समय बाद उन्हें लौटना था । श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वह उन्हें उनके गंतव्य तक छोड़ दें ।साथ ही यह भी कहा की रास्ता बहुत खतरनाक है क्योंकि रास्ते में घना जंगल पड़ता है जिसमें खतरनाक डाकू रहते हैं और डाकू हमला कर सकते हैं। कर्ण को हराने के बाद तथा युद्ध जीतने के बाद अर्जुन को यह गुमान हो गया कि वह अजेय है। उन्हें डाकुओं को हराने के लिए किसी की मदद की आवश्यकता नहीं है। उनके गांडीव धनुष ही काफी है उन्हें हराने के लिए। उनके लिए उन्हें हराना यह सामान्य सी बात थी ।उनके इस आत्मविश्वास को देखकर श्री कृष्ण भगवान मुस्कुरा दिए ।
यादवों को घर छोड़ते वक्त डाकूओं ने उन पर हमला बोल दिया और अर्जुन यादव को बचाने के लिए अपना गांडीव उठा लिया और पूरी क्षमता से उनसे लड़ रहे थे । लेकिन वे असफल हो रहे थे। और डाकूओं को हराने के लिए तब श्रीकृष्ण भगवान को आना पड़ा।
अर्जुन को समझ में नहीं आया कि डाकू उनसे ज्यादा ताकतवर कैसे हुए।क्षअर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा। तब उन्होंने कहा कि...." तुमने जब पहला बाण छोड़ा था तभी डाकू समझ गए कि तुम पहले की तरह कुशल नहीं हो ।अतः उन्होंने अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग किया और अपने मन के बल को बढ़ाया और तुम पर ज्यादा शक्ति के साथ हमला किया। अगर तुम्हारा पहला वार अच्छा होता तो वे पीछे हट जाते और जानते कि तुम अजेय हो। इससे अर्जुन के अहं को चोट पहुंची । वह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होकर भी सर्वश्रेष्ठ नहीं।
तब श्रीकृष्ण ने कहा कर्ण ने महाभारत से पहले कभी युद्ध नहीं लड़ा था। लेकिन उसने कभी भी अभ्यास करना नहीं छोड़ा ।उसके पास कई अजेय हथियार और विजय धनुष था। लेकिन उसने कभी भी अभ्यास करना बंद नहीं किया था। इस प्रकार श्री कृष्ण ने अर्जुन को रोज ले अभ्यास और नित्य कर्म का ज्ञान दिया।
बिल्कुल इसी तरह आज के समय में भी हम रोज अभ्यास करते हैं तब ही हमारा भविष्य बेहतर होता है । सभी बच्चों ने कहानी सुनकर तालियां बजाईं। अब अविनाश को समझ आ गया था कि उससे कहां चूक हुई थी।
शैलजा
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
******
#, लेखनी पौराणिक कथा प्रतियोगिता।।
Kaushalya Rani
14-Dec-2021 05:20 PM
Nice story mam
Reply
Barsha🖤👑
14-Dec-2021 04:54 PM
Nice
Reply
Zayn
14-Dec-2021 03:41 PM
Wow👌
Reply